भारत की प्रथम महिला आई. पी. एस/ भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी किरण बेदी की कुंडली का विश्लेषण


मित्रों, भारत की प्रथम महिला पुलिस सेवा अधिकारी किरण बेदी जी को कौन नहीं जानता. समाज और देश के लिए उन्होंने बहुत से उल्लेखनीय कार्य किये, जिसके उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए.  उनकी कुंडली के ग्रहों ऐसा क्या प्रभाव रहा, जिसके बल पर उन्होंने बहुत ही साहसिक कार्य किये. आज ज्योतिषीय दृष्टिकोण से कर्म जीवन की विवेचना करने का प्रयास कर रहा हूँ.

किरण बेदी का जन्म कन्या लग्न और चन्द्र राशि वृश्चिक में हुआ था. तृतीय भावस्थ चन्द्रम अपनी नीच राशि में है, लेकिन वृश्चिक के स्वामी मंगल द्वारा सप्तम दृष्टिपात के कारण चन्द्रम का नीच भंग राज योग बनता है. ऐसे जातकों में मानसिक ऊर्जा भरपुर होती है. वह हमेश उत्साह से भरे रहते है. पंचम भाव में गुरु अपनी नीच राशि मकर में विराजमान है. लेकिन नवमांश कुंडली में गुरु दशम भाव में अपनी स्वराशि मीन के साथ बैठा है, अतः यहाँ भी गुरु का नीच भंग राजयोग बनता है. चूँकि गुरु वक्री है, लेकिन शुभ है, अतः ऐसी दशा में जातक को गुरु का कई गुना अधिक लाभ मिला. लग्न कुंडली में दशम भाव और नवम भाव के मध्य कर्मेश बुध और भाग्येश शुक्र के बीच राशि परिवर्तन हो रहा है.  ऐसे जातक में सृजनात्मक शक्ति बहुत होती है. वह लीक से हटकर कुछ नया करना चाहते है. उनकी रचनात्मकता बौद्धिकता से परिपूर्ण होती है. भाग्य भाव पर गुरु की पंचम दृष्टि है. भाग्येश और कर्मेश के बीच राशि परिवर्तन से प्रत्येक किया गए कर्म एक सही दिशा में होता है, और उसे भाग्य का सहारा मिलता है. चूँकि शास्त्रों में राशि परिवर्तन जब केंद्र और त्रिक भावों के बीच हो तो दैन्य योग बनता है, तृतीय भाव के साथ खलक योग, बनता है. इंदिरा जी की कुंडली में लग्न और सप्तम भाव के बीच शनि और चन्द्र का राशि परिवर्तन योग है. यह महायोग का निर्माण करता है. जिससे वह देश की प्रधान मंत्री बनी. लेकिन चन्द्र शनि के कारण पति से विछोह हुआ, और चन्द्र शनि के विष योग के कारण उनकी धोखे से उनके अंगरक्षक द्वारा हत्या की गयी. मेरी जानकारी के अनुसार, शास्त्रों में केंद्र और त्रिकोण के बीच राशि परिवर्तन का उल्लेख नहीं है. लेकिन चूँकि केंद्र और त्रिकोण दोनों ही शुभ होते है. अतः इसका मिश्रित प्रभाव शुभ ही होगा.
लग्न कुंडली के भाग्य भाव में सूर्य –मंगल-बुध की युति है. सूर्य और मंगल ही दोनों अग्नि के प्रतीक है. दोनों की युति जातक को साहस, वीरता, ऊर्जा, और पराक्रम से भर देती है, बुध की युति होने से ऐसा शौर्य ठन्डे दिमाग से बौधिक दिशा में होता है. वर्ष 1972 में बुध की महादशा और शुक्र की अन्तर्दशा में किरण बेदी जी भारत की पहली महिला आई. पी. एस अधिकारी बनी. उन्होंने बहुत ही कुशलता से अपने कार्यों को क्रियान्वित किया, उनके बौधिक शौर्य के कारण उन्हें बुध की महादशा, गुरु की अन्तर्दशा, में 1980 में राष्ट्रपति द्वारा वीरता पुरुस्कार प्रदान किया गया.
लग्न कुंडली का कर्मेश बुध, दशमांश कुंडली में भाग्य स्थान में उच्च का होकर बैठा है. दशमांश चक्र में शुक्र द्वादश भाव में नीच राशि में स्थित है, लेकिन त्रिक भाव में होने के कारण शुक्र का नीच भंग राजयोग दशमांश चक्र में भी बनता है. फलस्वरूप किरण बेदी जी, को आने कार्यों के कारण अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली.
शुक्र की महादशा और अन्तर्दशा, और बुध की प्रत्यंतर दशा में मई 1993 में उन्होंने तिहाड़ जेल में कई सुधारात्मक कार्य किये, जो उनकी सृजनात्मक क्षमताओं  को प्रदर्शित करती है. उनके इस उल्लेखनीय कार्यों के लिए वर्ष 1994 में शुक्र की महादशा और सूर्य की अन्तर्दशा में उन्हें Ramon Magsaysay  पुरुस्कार दिया गया. नवमांश कुंडली में सूर्य पराक्रम भाव में स्वग्रही है. अतः; जीवन किरण वेदी हो हमेशा सूर्य की दशा में यश और ख्याति मिली. वर्ष 2007 में शुक्र महादशा, बुध अन्तर्दशा, और शुक्र की प्रत्यंतर दशा में जब बौधिक रचनात्मकता उनके मन पर हावी हो गयी, तब राजकीय पद से उनका मोह भंग हो गया और उन्होंने आई.पी.एस पद से त्यागपत्र दे दिया. और अपने समय और ऊर्जा को पुस्तक लेखन और समाज सेवा में समर्पित कर दिया. विद्या भाव के स्वामी शनिदेव के द्वादश भाव में स्थित होने के कारण उनके द्वारा किये गए कार्यों, समाज सेवा, और पुस्तक लेखन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत ख्याति मिली. चूँकि शनि न्याय के भी देवता होते है, और किरण जी के विद्या भाव के स्वामी है, अतः, किरण बेदी जी ने क़ानून की पढाई कर, एल. एल. बी की डिग्री भी हासिल की. उनकी न्यायप्रियता और निर्भयता का एक प्रसंग है, अगस्त 1982 में जब बुध की महादशा में, शनि की अन्तर्दशा थी, उस समय में गलत पार्किंग में खड़ी प्रधानमंत्री की कार को भी उन्होंने उठवा दिया, उस समय किरण बेदी जी ट्रैफिक पुलिस में थी.
पंचम भावस्थ गुरु के नीच भंग राजयोग के कारण, उन्होंने बहुत उच्च शिक्षा प्राप्त की.  किरण जी के चतुर्विशांश कुंडली का अध्ययन करने पर पाया गया.  चतुर्विशांश कुंडली में भी विद्या भाव का स्वामी गुरु ही है, जो की नीच के होकर षष्ठं भाव में उच्च के शनि के युति किये है. जिससे पुनः गुरु का नीच भंग राज योग बना. उसी कुंडली में शुक्र नीच का होकर अष्टम भावस्थ है, जिससे शुक्र का नीचभंग राजयोग बनता है. परिणामस्वरूप, वर्ष 1993 में शुक्र-शुक्र-बुध की दशा में उन्होंने आई. आई .टी दिल्ली से पी. एच. डी की डिग्री प्राप्त की.
पुनः सूर्य की महादशा , शुक्र की अन्तर्दशा, और बुध की प्रत्यंतर दशा में 22 मई 2016 को उन्हें पुदुचेर्री का लेफ्टिनेंट गवर्नर का पदभार सौंपा गया.

राजीव कुमार 


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