कैसे नीच ग्रह अपने शुभ फल देते है ?

यदि कोई ग्रह कुंडली में नीच का हो और यदि उसका नीचत्व भंग हो जाये तो उच्च कोटि का राजयोग बनता है, इसलिए उसे नीचभंग राजयोग कहते है. नीचभंग राजयोग के प्रमुख सूत्र निम्नलिखित है:
1.      यदि कोई ग्रह अपनी नीच राशि में, तृतीय, षष्ठम, अष्ठम, और द्वादश भाव में हो तो स्वतः उसका नीचत्व भंग होकर नीच भंग राजयोग बनता है.
2.      यदि कोई ग्रह नीच राशि में है, लेकिन उसका राशि स्वामी केंद्र में हो, तो भी नीचभंग राजयोग बनता है.
3.      यदि कोई ग्रह नीच राशि में है, यदि उस ग्रह पर उस नीच राशि का राशि स्वामी अपना दृष्टिपात करे तब भी नीचभंग राजयोग बनता है.
4.      यदि ग्रह नीचस्थ है, यदि नीच राशि का राशि स्वामी उस ग्रह के साथ युति करे तब भी नीचभंग राज योग बनता है.
5.      यदि ग्रह नीच का है, लेकिन उस नीच राशि में यदि कोई ग्रह उच्च का होता है, और वह ग्रह केंद्र में हो तब भी नीचभंग राजयोग बनता है.
6.      यदि नीच होने वाले ग्रह की राशि के राशि स्वामी की उच्च राशि का स्वामी यदि केंद्र में हो तब भी नीच भंग राज योग बनता है. उदहारण के लिए, बुध मीन राशि में नीच का होता है, मीन का स्वामी गुरु कर्क में उच्च का होता है, यति कर्क का स्वामी चन्द्रमा केंद्र में हो तब भी बुध का नीच भंग राजयोग बनेगा.
7.      उपरोक्त उदाहरण में ही यदि बुध किसी भी भाव में नीच का हो यदि चन्द्रमा की उस पर युति या दृष्टि से सम्बन्ध बने तब भी नीचभंग राज होगा.
8.      यदि लग्न कुंडली में कोई ग्रह नीच का है, लेकिन नवमांश कुंडली में वह उच्च का हो तो भी उस ग्रह का नीचभंग होता है.

9.      व्यवहारिक रूप से देखा गया है, की नीचभंग की अवस्था में भी जातक को उस ग्रह के नीचत्व के कुछ नकारात्मक परिणाम भुगतना पड़ सकता है, बाद में नीचभंग का लाभ मिलेगा.

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